येलो फीवर के बारे में जानें सब कुछ

येलो फीवर के बारे में जानें सब कुछ

सेहतराग टीम

येलो फ़ीवर या पीला बुख़ार गंभीर वायरल संक्रमण है, जो कि एडीज इजिप्ती मच्छर के काटने से फैलता है। इसका वाहक कारक फ्लैविवायरस जीनस वायरस है। पीला बुख़ार मुख्यत: उप सहारा अफ्रीका (सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में देशों), दक्षिणी अमेरिका और कैरिबियन के कुछ भागों में खासकर होता है। येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार के दो प्रकार शहरी और जंगली हैं।

 

शहरी येलो फ़ीवर/पीला बुखार मनुष्यों का संक्रामक वायरल रोग है, जो कि एडीस इजिप्ती मच्छर द्वारा संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित/ग्रहणशील व्यक्ति में फ़ैलता है। ये मच्छर घरेलू और पेरी घरेलू कंटेनर (जैसे कि पानी के जार, बैरल, ड्रम, टायर या टिन के डिब्बे) में प्रजजन करते हैं। इस प्रकार ये साधन मनुष्यों के साथ घनिष्ठता से जुड़ें है। जिन क्षेत्रों में एडीस इजिप्ती को नष्ट या समाप्त कर दिया गया है, उन क्षेत्रों में येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार ख़त्म हो गया है। शहरी येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार के संक्रमण के ज़ोखिम को मानव आबादी के टीकाकरण या एडीस इजिप्ती की जनसंख्या को समाप्त करके रोका जा सकता है, ताकि इसके संक्रमण को दूर किया जा सके।

 

जंगली येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार के संक्रमण को मानव आबादी में प्रभावी तरीके से टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। 

 

लक्षण 

 

येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार की ऊष्मायन अवधि तीन से छह दिन होती है। इसके लक्षणों में दो चरण पाए जाते हैं:

पहले चरण को 'एक्यूट चरण' के नाम से भी जाना जाता है, इसमें शामिल हैं:

38º सेल्सियस (100.4 डिग्री फॉरनेहाइट) बुख़ार या उससे अधिक (बुख़ार)।

कंपकपी (बुख़ार)। 

सिरदर्द। 

मितली और उल्टी। 

पीठ दर्द सहित मांसपेशियों में दर्द।

भूख में कमी।

दूसरा चरण अत्यधिक गंभीर है तथा इसे 'विषाक्त/ टॉक्सिक चरण' के नाम से जाना जाता है। इसके लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

लगातार बुख़ार।

पेट में दर्द।

उल्टी।

पीलिया– लीवर/यकृत की क्षति के कारण त्वचा का पीलापन और आंखों में सफ़ेदी। 

किडनी/गुर्दे की विफलता।

मुंह, नाक, आंख या पेट में रक्तस्राव होना, जो कि उल्टी और मल (मल) में रक्त पैदा कर सकता है। 

 

कारण

येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार फ्लैविवायरस कहे जाने वाले वायरस के कारण होता है। यह संक्रमण विशेष तरह के मच्छर के काटने से फैलता है। यदि कोई व्यक्ति यात्रा कर रहा है, तो येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार के विकास का ज़ोखिम निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करता है:

आप कहां यात्रा कर रहे हैं और उस समय उस क्षेत्र में येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार का प्रकोप तो नहीं है।

क्या आपने पीला बुख़ार के लिए टीकाकरण लिया है? 

क्या आप जंगल या जंगल के क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हैं?

 

निदान

सामान्यत: येलो फ़ीवर/पीला बुखार का पता लक्षणों एवं रक्त परीक्षण के आधार पर किया जाता है।

 

रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण संक्रमण-लड़ने वाली सफ़ेद रक्त कोशिकाओं (लियूकोपेनिया) की संख्या में कमी दिखा सकता है।

यह इसलिए होता है, क्योंकि येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार अस्थि मज्जा या बोन मैरो (कुछ हड्डियों के केंद्र में स्पंजी सामग्री, जो कि रक्त कोशिकाओं को पैदा करती है) को प्रभावित करता है।

 

पीले बुख़ार के प्रयोगशाला निदान में सीरम के परीक्षण में विशिष्ट आईजीएम एवं नूट्रलाइज़ एंटीबॉडी पाया जाता है। 

 

प्रबंधन 

येलो फ़ीवर/पीले बुख़ार के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, लक्षणों को उपचार द्वारा दूर किया जा  सकता है।

बुख़ार, सिरदर्द और पीठ दर्द का उपचार पेरासिटामोल जैसी दर्द-निवारक दवाओं की सहायता से किया जाता है।

इसके अलावा, निर्जलीकरण से बचने के लिए रोगी को अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है।

संयुक्त बैक्टीरियल संक्रमण का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।

 

रोकथाम 

येलो फ़ीवर को टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है। पीला बुख़ार वैक्सीन का एकल इंजेक्शन प्राप्तकर्त्ता को सौ प्रतिशत प्रतिरक्षा प्रदान करता है, जिसे त्वचा के भीतर दिया जाता है। वैक्सीन टीकाकरण के दस दिनों के बाद ही प्रतिरक्षा प्रदान करता है। यह येलो फ़ीवर से पीड़ित स्थानिक देशों में रहने वाले लोगों को जीवनभर प्रतिरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, गैर-स्थानिक देशों में रहने वाले व्यक्तियों को हर दस वर्ष में बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है। यह वैक्सीन अंडे से एलर्जन व्यक्ति, पिछली ख़ुराक के प्रति अतिसंवेदनशील, गर्भवती महिलाओं, नौ महीने से कम आयु के बच्चों या प्रतिरक्षा संबंधी रोगों से पीड़ितों को नहीं दिया जाता है। वैक्सीन से हल्के साइड इफेक्ट्स/दुष्प्रभाव जैसे कि बुखार, पीड़ा, लालिमा या जहां टीका लगाया गया है वहां पर सूजन हो सकती है। आमतौर पर दुष्प्रभाव/साइड इफेक्ट एक हफ्ते के भीतर कम हो जाते हैं।

 

येलो फ़ीवर/पीला बुख़ार वैक्सीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (स्वा. एवं प. क. मंत्रा.) द्वारा अनुमोदित सत्ताईस सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर आसानी से उपलब्ध हैं। येलो फ़ीवर के खिलाफ़ टीकाकरण स्थानिक क्षेत्र की यात्रा करने से कम दस दिन पहले दिया जाना चाहिए।

(नेशनल हेल्‍थ पोर्टल से साभार)

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